शार्ट स्टोरी लेखन चेलैन्ज भाग 5 मेरी बहू मेरा अभिमान
सुलेखा अपने सामने ़वन्दिता को देखकर आश्चर्य में पड़गयीऔर उसका मन भी कुछ कुछ परेशान होगया। क्यौकि उसके सामने जो लड़की खडी़ थी वह उसकी बहू हौने वाली है।
सुलेखा उसका पहनावा देखकर सोचने लगी कि पीयूष को क्या हंगया था जो वह इसे पसन्द करके लाया है। क्यौकि सामने खडी़ लड़की जीन्स टाप व ऊँची ऐडी के सैन्डिल पहने हुई थी। वह कोई अँग्रेजी मैम लग रही थी।
सुलेखा कुछ कर भी नही सकती थी क्यौकि वह उसके बेटे की पसन्द थी। उसने ही बेटे को कह दिया था कि वह अपनी पसन्द की बहू लेआये। उसे यह नही मालूम था कि वह कोई अँग्रेजी मैम पसन्द करलेगा।
सुलेखा का बस चलता तो उसे अभी चार बातै सुना सकती थी परन्तु वह कुछ सोचकर चुप रहगयी। वन्दिता के साथ उसकी मम्मी भी आई थी उसकी मम्मी ने बनारसी साडी़ पहन रखी थी।
वन्दिता की मम्मी उससे बोली " बेटी आन्टीजी के पैर छुओ।"
जैसे ही वन्दिता झुकना चाहती थी सुलेखा ने बस बेटा कहकर उसके हाथ पकड़ लिए।
सुलेखा ने बिना पसन्द के भी हाँ कहदी क्यौकि वह पीयूष की पसन्द थी।
सुलेखा ने पीयूष को मम्मी व पापा दोनौ का प्यार देकर पाला था।क्यौकि पीयूष के पापा उसे चार साल का छोड़कर कर भगवान को प्मारे होगये थे।
सुलेखा ने बहुत महनत की थी बहूआने के बाद वह आराम करना चाहती थी परन्तु पीयूष की पसन्द देखकर परेशान होगयी।
पीयूष व वन्दिता की शादी होगयी । वन्दिता बहू बनकर ससुराल आगयी। सुलेखा ने मन में सोच लिया था कि यह बहू तो घर का काम करने से रही ऊपर से नौकरी भी करती है। अतः उनको तो सेवा की कोई आशा नही रही थी।
पीयूष व वन्दिता आज ही हनीमून से लौटकर आये थे। सुलेखा ने सोचा कि सुबह ये दौनौ आफिस जायेगे इस लिए जल्दी उठकर खाना बनाना होगा इसी लिए छः बजे का अलारम लगाकर सोगयी।
जब सुबह आँख खुली तो पूजा घर से घन्टी बजने की आवाज आई। सुलेखा ने सोचा आज इतनी जल्दी पूजा कौन कर रहा है। जाकर देखा तो वन्दिता आरती कर रही थी। सुलेखा को विश्वास ही नहीं आरहा था वह इसे सपना सोच रही थी। इतने मे वन्दिता आरती लेकर आगयी।
सुलेखा ने आरती ली।और अपने कमरे में वापिस आगयी। कचछ समय मे वह चाय लेकर आगयी। सुलेखा ने आज कितने दिनौ बाद बैट टी पी थी। पीयूष भी आगया था उसने पूछा ," मम्मी चाय पसन्द आई क्या?"
वह बोली," बेटा बहुत दिनौ बाद ऐसी चखय पी है ऐसी चाय तेरे पापा बनाते थे। आज उनकी याद आगयी।"
अब वन्दिता बोली ," मम्मी जी नाश्ते में क्या बनाऊ मै तो केवल ब्रैड या पोहा बना सकती हूँ अब आप सिखादोगी तब सब बनाया करूँगी।"
सुलेखा का मन खुश होगया वह बोली," बेटा तुम तैयार होजाओ मै सब बना दूँगी "
वह बोली," मम्मी हमारे आफिस जाने के बाद आष को ही करना है।"
अब सुलेखा को वन्दिता ने बहुत आराम दिया जैसा उन्हौनै सोचा था वह उसके विपरीत निकली। आफिस भी जाती आफिस से आने के बाद सब काम करती थी।
एक बार वह बीमार होगयी थी उसने आफिस से छुट्टी लेकर सेवा की थी उनको बैड से हिलने नही देती थी। अब उनको पीयूष की पसन्द पर अभिमान होरहा था। वह गोरी मैम तो एक दम भारतीय नारी निकली।
अब वह यह कहती थी कि मेरी बहू मेरा अभिमान है। वह मेरी बेटी से भी बढ़कर है।
नरेश शर्मा
29/04/२०२२
शार्ट स्टोरी लेखन चेलैन्ज भाग ५
ज
Zainab Irfan
30-Apr-2022 09:29 AM
👏👌🙏🏻
Reply
Naresh Sharma "Pachauri"
30-Apr-2022 07:22 AM
Very very thanks to all
Reply
Kusam Sharma
29-Apr-2022 09:58 PM
Very nice
Reply